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यादों के झरोखे से लेखनी कहानी मेरी डायरी-14-Nov-2022 भाग 17

                   नैनीताल की यात्रा


        उस स्थान से नैनीताल जाने के लिए हमने एक किराये की टैक्सी की। भीड़ अधिक होने के कारण प्राईवेट टैक्सी वाले सभी को खूब लूट रहे थे  छः सात किलोमीटर का मनमाना किराया बसूल रहे थे।

     अब जाना तो था ही इसलिए समय के हिसाब से ही चलना पड़ताहै इसलिए हमने भी एक टैक्सी करली हमारी टैक्सी में ही एक परिवार और आगया। कुछ ही समय बाद  हम नैनीताल  पहुँच गये ।

  नैनीताल के पहाडौ़ की सड़क की मोडँ देखकर पसीना आजाता था। वहाँ की सड़क पहड काटकर बनाई गयी है यदि आप थोडा़ भी चूक गये तो समझौ गये खाई में।

   वहाँ के लोकल टैक्सी के ड्राईबर  तो बहुत ही ट्रैन्ड है हम जिस टैक्सी में बैठे थे उसके चलाने का ढंग देखकर आँखे बन्द करनी पड़ती थी।

उस टैक्सी वाले ने हम सभी को एक चौराहे जैसी जगह पर उतार दिया। हमारा कोई होटल भी बुक नहीं था क्यौकि हमारा प्रोग्राम अचानक ही बना था। अब हमने अपना सामान एक जगह रखा और दोनों बच्चौ को सम्भाला । हमारी बेटी व दामाद होटल देखने चलेगये।  अब हमें भूंख भी लग रही थी ।

       लगभग आधा घन्टे के बाद वह एक होटल वाले से बात कर के आये और हम अपना सामान लेकर उस होटल की तरफ गये वह होटल वहाँ से कुछ ही दूरी पर ही था।

      होटल में पहुँचकर अपना सामान रखा और फ्रैश होकर जो खाना घर से साथ लाये थे वह वहाँ खाया । इसके बाद घूमने का प्रोग्राम बनाया।

      होटल से सम एक जगह गये जहाँ से नैनीताल की नैनीझील व नैनी माता मन्दिर के लिए रिक्शे मिलते थे।

    हमें वहाँ जाकर जानकारी हुई कि यह रिक्शा वहाँ की नगरपालिका चलाती है हमसे जो किराया मिलता है उसमे शायद आधा हिस्सा चालक को मिलता है।रेट भी फिक्स है आपको तय करने की कोई आवश्यकता नही है। रूट केवल दस रुपये प्रति सवारी और एक रिक्शे मे तीन से अधिक सवारी नहीं बैठ सकती है।

         आगे का वर्णन अगले भाग में पढि़ये

यादों के झरोखे से २०२२
नरेश शर्मा " पचौरी "

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4 Comments

Radhika

05-Mar-2023 08:22 PM

Nice

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shweta soni

03-Mar-2023 10:09 PM

👌👌👌

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अदिति झा

03-Mar-2023 02:32 PM

Nice 👍🏼

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